Educational Tour (शैक्षणिक भ्रमण)

Umrangso to Guwahati

शैक्षणिक भ्रमण का शुभारंभ पूजन के द्वारा प्रबंध समिति के अध्यक्ष मा. लोकांत लंगथासा जी ने किया। 
पहले दिन श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र देखने गये। असम की संस्कृति को और नजदीकी से जानने व समझने का अवसर मिला। 
पहले दिन की समाप्ति द्क्षिण भारत की संस्कृति को संजोते हुए बालाजी मंदिर पर हुई। रात्रि के समय प्रकाश से जगमगाता हुआ बालाजी मंदिर पूर्वोत्तर भारत मे द्क्षिण भारत की संस्कृति के साथ साथ भारत की अखण्डता व समरसता का प्रतीक भी है।
दूसरे दिन की शुरुआत महाबाहू ब्रह्म्पुत्र के दर्शन के साथ साथ प्रकृति की सुगंधित समीर के स्वागत के द्वावा प्रारम्भ हुई। ब्रह्मपुत्र की विशालता ने लोहित की यशोगाथा का स्मरण कराया।
राज भवन मे महामहिम राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित जी से भेंट की, बाल भारती की प्रधानमंत्री पूनम लामा ने मा. राज्यपाल जी को खेलमा संस्कृति के प्रतीक से सम्मानित किया। 
महामहिम राज्यपाल जी का उद्बोधन प्रेरणादायी था। राजभवन में हमारे साथ विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री श्री बृह्मा जी राव और पुर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के सह मंत्री श्री प्रांजीत पुजारी जी भी सम्मिलित हुये।
द्वितीय दिन Planatorium देखने गये, जहां तारामंडल को बहुत निकट से समझने का अवसर मिला।
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गर्मी बहुत ही चरम पर थी तभी, ब्रह्म्पुत्र में बोट के माध्यम से विश्व के सबसे छोटे नदीद्वीप उमानंद की ओर बढ चले। हमारे साथ सामिल हुए कई लोगों के लिए ये पहला अवसर था जब ब्रह्म्पुत्र में बोट की यात्रा की।

मां कामाख्या के दर्शन किये। 52 शक्तिपीठ में से गुवाहाटी का कामाख्या शक्तिपीठ भी प्रमुख है। 
दूसरा दिन भी समाप्त होने की ओर था, गर्मी का प्रभाव गन्ने का रस पीने के लिये विवस कर रहा था। सराईघाट के पुल पर पहुंच पर गन्ने के रस ने तरोताजा कर दिया। सराईघाट बार बार असम के वीर योद्धा लाचित बड्फूकन की याद दिला रहा था।
तीसरे दिन की शुरूआत चिडियाघर से हुई।
विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के अधिकारियों के साथ फोटो का अवसर मिला। श्रीमती अनिमा शर्मा जी (अखिल भारतीय मंत्री) ने शैक्षणिक भ्रमण पर छात्रों से बात की।

 तीसरे दिन Science Museum ने सबसे ज्यादा आकर्षक व मनोरंजनप्रद व शैक्षणिक भ्रमण को पूर्ण किया।


 तीसरे दिन की समाप्ति श्री रामचंद्र जी के गुरु वशिष्ठ जी के आश्रम मे हुई। गुवाहाटी असम का पुरातन व रमन्णीय स्थान है वशिष्ठ आश्रम्।
अंतिम दिन चार दिन के भ्रमण को पूर्ण करते हुए, हम लोग पहुंचे ''ज्योति चित्रवन'' फिल्म स्टूडियो। वहां फिल्म बनाने की तकनीक को समझा, ऑडियो ड्बिंग करके हमको वहां दिखाया गया, फिल्म स्टूडियो का म्यूजियम देखने का अवसर भी महत्वपूर्ण था। फिल्म स्टूडियो के चेयरमेन से भी मिले व उन्होने स्टूडियो के कार्य को समझाया।